आपका बटुआ- नेहरू-शास्त्री के जमाने से म्यूचुअल फंड्स भरोसेमंद:मोदी कार्यकाल में बना ताकतवर, पैसों की बगिया हैं म्यूचुअल फंड्स, जानें-कहां लगाएं पैसे
भारत में म्यूचुअल फंड की कहानी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जमाने से शुरू होती है। बात 1963 की है, जब संसद के एक अधिनियम के द्वारा यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (UTI) का गठन हुआ।
1978 तक UTI भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नियंत्रित किया जाने लगा। उसी साल RBI को UTI नियामक और प्रशासनिक प्राधिकरण के रूप में बदल दिया गया।
UTI द्वारा शुरू की गई पहली म्यूचुअल फंड योजना यूनिट स्कीम 1964 (US-64) थी। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जमाने में भी इसने रफ्तार पकड़ी।
1988 के अंत तक UTI निवेश का कुल बाजार मूल्य 6,700 करोड़ रुपए था। आज जब देश में नरेंद्र मोदी सरकार है, इस वक्त म्यूचुअल फंड्स इंडस्ट्री ताकतवर बनकर उभरी है। यह 50 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच चुकी है।
दरअसल, म्यूचुअल फंड में कई निवेशकों का पैसा एक जगह जमा किया जाता है और इस फंड में से फिर शेयर मार्केट में निवेश किया जाता है। म्यूचुअल फंड को एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) द्वारा मैनेज किया जाता है।
हर AMC में आमतौर पर कई म्यूचुअल फंड स्कीम होती हैं। आप किसी भी दिन कितने भी म्यूचुअल फंड खरीद और बेच सकते हैं। जबकि बैंक FD, PPF या बीमा को आप सरकारी छुट्टी या रविवार को नहीं खरीद-बेच सकते हैं।
म्यूचुअल फंड पैसों की बगिया जैसा
फाइनेंशियल एक्सपर्ट जितेंद्र सोलंकी बताते हैं कि जिस तरह से फूलों की बगिया में कई अलग-अलग प्रकार के पौधे होते हैं, वैसे ही म्यूचुअल फंड्स भी होते हैं। यह लोगों पर निर्भर करता है कि वे अपने बगीचे में क्या चाहते हैं। इसी तरह, अलग-अलग प्रकार के म्यूचुअल फंड हैं जो अलग-अलग लोगों की जरूरतों को पूरा करते हैं।
आमतौर पर म्यूचुअल फंड्स को 5 तरह से बांटा जाता है, जो उनके द्वारा निवेश की जाने वाली परिसंपत्तियों पर निर्भर करता है। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझते हैं-