Friday 10/ 01/ 2025 

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राज्य

पंडित गोविंद बल्लभ पन्त विश्व विद्यालय म 36वां दीक्षांत समारोह आयोजित,1172 विधार्थियों को उपाधि से सम्मानित किया,सीडीएस अनिल चौहान और प्रगति किसान प्रेम चंद्र शर्मा को पद्मश्री से सम्मानित किया

पंतनगर, रुद्रपुर। पं. गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का 36वां दीक्षांत समारोह का आयोजन महामहिम राज्यपाल/कुलाधिपति ले.जन.(से.नि.) गुरमीत सिंह के आतिथ्य के साथ किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के 1172 विद्याार्थियों को उपाधि प्रदान की गयी साथ ही चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ(सीडीएस) जनरल अनिल चौहान तथा प्रगतिशील किसान पद्म श्री पुरस्कृत प्रेमचंद शर्मा को डॉ. ऑफ साइंस की मानद उपाधि से सुशोभित किया गया। महामहिम राज्यपाल ने कहा कि आज के इस अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री जी का नारा जय जवान जय किसान आज पुनः जीवंत हो गया है, उन्होंने कहा कि मैं इन दोनों विभूतियों को मानद उपाधि प्रदान करते हुए स्वयं को गौरवांन्वित महसूस कर रहा हूं कि मुझे यह अवसर प्राप्त हो सका। महामहिम राज्यपाल ने उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को व उनके परिजनों व मार्गदर्शक शिक्षकों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हरित क्रांति के जननी इस विश्वविद्यालय के शिक्षकों व विद्यार्थियों ने प्रदेश एवं देश में कृषि उत्पादन बढ़ाने में जो योगदान दिया है उसके लिए सभी बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि जीबी पंत विवि. ने कृषि शिक्षा, शोध एवं प्रसार कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के साथ-साथ विभिन्न खाद्यान्नों का उत्पादन बढ़ाने में सराहनीय योगदान दिया है साथ ही उन्नत प्रजातियों के बीजों का विकास कर बीज उपयोग के नये आयाम दिये हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय स्तर से अब तक उच्च उपज प्रादन करने वाली विभिन्न फसलों की 355 किस्मों का विकास किया है। उन्होंने बढ़ती हुई जनसंख्या व भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, शोध कार्योंको और गति देनी होगी ताकि प्रदेश व देश की बढ़ती हुई मांग को समय से पूरा किया जा सके, इस हेतु कृषि से संबंधित जो भी शोध किये जा रहें हैं उन्हें प्रदेश के लघु एवं सीमान्त किसानों की आवश्यकताओं के अनुरूप निर्धारण करना होगा जिससे कि प्रदेश के लगभग 85 प्रतिशत लघु एवं सीमान्त किसानों को इनसे लाभ प्राप्त हो सके। कृषि वैज्ञानिकों को शोध करते समय स्थानीय परिस्थितियों एवं संसाधनों पर ध्यान देने की आवश्कता है। राज्यपाल ने कहा कि इस सत्र से विवि. ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को आत्मसात किया है, जिससे कृषि क्षेत्र की भविष्य की चुनौतियों का सामना विद्यार्थी और अधिक दक्षता एवं कुशलता के साथ कर पायेंगे।
महामहिम ने कहा कि सपने देखिए और खुली आंखों से देखिए साथ ही संकल्प से सिद्धि तक प्रयास करते रहिए। उन्होंने कहा विश्वगुरू बनने का हमारा सपना युवा पीढ़ी के संकल्प और प्रयास से ही सफल हो पाएगा। उन्होंने कहा कि हम टेक्नोलॉजी के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं हो सकते हमें खुद ही प्रयास कर विश्व में उन्नत बनना पड़ेगा इसी प्रकार हमें खाद्यान्न के क्षेत्र में भी शीर्ष बनना होगा। महामहिम ने कहा कि हर भारतीय जीबी पंत विवि से उम्मीद करता है एक नई क्रांति की और मुझे विश्वास है कि हरित क्रांति लाने वाला यह विवि एक बार पुनः एक नई क्रांति की जननी बनने का इतिहास बनायेगा। उन्होंने कहा कि वि.वि. द्यारा पंतजा नस्ल की बकरी, उत्तरा नस्ल का कुक्कुट एवं बद्री, साहीवाल तथ फ्रीजवाल नस्ल की गयों को संवर्धन का कार्य कर रहा है व बद्री नस्ल का क्लोन तैयार किया जा रहा है और मुझे विश्वास विश्वास है कि हम एक वर्ष के भीतर बद्री नस्ल का क्लोन तैयार कर लेंगे। राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड में कृषि में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान है जिसके लिए महिलाओं के अनुकूल आसान तकनीकों का विकास किये जाने की आवश्यकता है, और आशा करता हँु कि वि.वि. इस दिशा में और अधिक शोध करेगा जिससे ग्रामीण महिलाओं को कम मेहनत और अधिक उत्पादकता प्राप्त हो सकेगी।
महामहिम ने शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वि.वि. के छात्र यहां की गरिमा के अनुरूप देश और प्रदेश में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए भविष्य की कृषि क्षेत्र की चुनौतियों का अपने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से डटकर मुकाबला करते हुए देश की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

सीडीएस अनिल चौहान ने मानद उपाधि प्रदान करने हेतु विवि व कुलाधिपति का धन्यवाद करते हुए सभी विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि स्नातक होने से सीखना समाप्त नहीं हो जाता बल्कि यह एक नई शुरूआत है । उन्होंने कहा कि कृषि विद्यार्थी व सैनिक दोनों जमीन से जुड़े होते हैं एक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है तो दूसरा राष्ट्र सुरक्षा। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण क्रॉपिंग कल्चर में परिवर्तन आया है, इस हेतु पैदावार व उर्वरता के लिए शोध बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत के निर्माण में नई पीढ़ी के सहयोग की आश्यकता रहेगी, नई सोच और नई ऊर्जा के साथ कार्य करना होगा तभी देश समृद्ध होगा उन्होंने सभी को बधाई देते हुए कहा कि मैं आप में नए भारत का सुनहरा भविष्य देखता हूँ।

इस दौरान मानद उपाधि प्राप्तकर्ता पद्म श्री प्रेमचन्द शर्मा ने छात्र-छात्राओं को शुभकामनाऐं देते हुए अपने जीवन के चार आदर्शों (मां, गुरू, किसान व जवान) के बारे में बताते हुए कहा कि मां जीवन देती है, गुरू ज्ञान, किसान से शरीर समृद्ध है व जवान से यह देश सुरक्षित है। उन्होने विद्यार्थियों को ग्राम स्वराज की अलख जगाने व पलायन को रोकने के लिए कार्य करने की अपील की। सरकेंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा ने दीक्षांत समारोह के आयोजन के लिए बधाई देते हुए बदलते वातावरण के अनुसार शोध एवं प्रसार करने के लिए वैज्ञानिकों का आह्वान किया।
कार्यक्रम में मंत्री कृषि, सैनिक कल्याण, गणेश जोशी ने कहा सीडीएस व प्रेमचन्द शर्मा को मानद उपाधि से सम्मानित होने पर बधाई दी व सभी विद्यार्थियों को भी बधाई दी। उन्होने कहा कि सरकार कृषि के क्षेत्र में उन्नति हेतु निरन्तर कार्यरत है। उन्होने कहा कि अगले दो वर्षों में उत्तराखण्ड की अर्थवयवस्था में ऐग्रीकल्चर व हॉर्टीकल्चर का अहम योगदान होगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में 2025 तक जैविक खेती का स्तर 50 प्रतिशत से अधिक होगा।कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि लैैण्ड ग्रान्ट पैटर्न की तर्ज पर अमेरिका के इलिनोय विश्वविद्यालय की तकनीकी सहायता से स्थापित इस विश्वविद्यालय ने हरित क्रान्ति के द्वारा देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विगत् 64 वर्षों से लगातार यह विश्वविद्यालय खाद्य फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के अलावा पशुधन, दुग्ध, तिलहन एवं मत्स्य उत्पादन में भी अपना अहम योगदान दे रहा है। कृषि शिक्षा, अनुसंधान तथा प्रसार में अपने अहम योगदान के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा ’सरदार पटेल आउटस्टैंडिंग इंस्टीट्यूशन सम्मान’ से इसे तीन बार सम्मानित किया जा चुका है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग में 331वां स्थान बनाया है। स्थापना से अब तक 44112 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गई हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित विभिन्न फसलों की 355 उन्नत किस्में एवं पशुओं की दो नस्लें राष्ट्र को समर्पित हैं, जोकि देश में खाद्य सुरक्षा एवं कृषकों की आय बढ़ाने में अभूतपूर्व रूप से सहायक रहीं हैं। विश्वविद्यालय एग्रीकल्चर लीडरशिप 2023 सम्मान से सम्मानित है। पंतनगर विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 वर्ष 2024-25 से लागू कर दी गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को अपनाने वाला यह देश का प्रथम कृषि विश्वविद्यालय है। देश एवं विदेश के प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ करार हुए हैं। गत दो वर्षों में दलहन की 10 प्रजातियां विकसित की गयी है। कुलपति के निर्देशन में बनी ‘विश्वविद्यालय की गत दो वर्ष की उपलब्धियाँ’ नामक पुस्तक का विमोचन ने किया।

कुलाधिपति ने इन विधार्थियों को—-

दीक्षा उप्रेति को सर्वोत्तम स्नातक होने के नाते कुलाधिपति के स्वर्ण पदक से सम्मानित करने के अतिरिक्त 15 विद्यार्थियों को कुलपति स्वर्ण पदक प्रदान किये गये, कुलपति रजत पदक 12 विद्यार्थियों को दिये गये, तथा कुलपति कांस्य पदक 12 विद्यार्थियों को दिये गये, इसके अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए पिशाला शांता कुमार को श्री पूरण आनन्द अदलखा अवार्ड; निशा दानी को श्रीमती सरस्वती पांडा गोल्ड मेडल/कैश अवार्ड; शशांक गंगवार को श्रीमती नागम्मा शान्ताबाई अवार्ड; श्रेया उपाध्याय को डा. राम शिरोमणि तिवारी अवार्ड; दो विद्यार्थी श्रेया उपाध्याय एवं जिया पाठक को चौधरी चरण सिंह मैमोरियल इंटेलेकच्यूअल अवार्ड; दो विद्यार्थी सुमन रानवा एवं डा. बरखा को भारत रत्न पण्डित गोविन्द बल्लभ पन्त अवार्ड तथा मोनालिसा गुरू को डा. एएन मुखोपाध्याय गोल्ड से सम्मानित किया गया।
इस दौरान विधायक शिव अरोरा, मोहन बिष्ट, जिलाध्यक्ष कमल जिंदल,डीएम उदय राज सिंह,एसएसपी मणिकांत मिश्र, सीडीओ मनीष कुमार, निदेशक पंतनगर एयरपोर्ट मोनिका,एएसपी निहारिका तोमर, सीओ आरडी मठपाल,एसडीएम मनीष बिष्ट, पूर्व विधायक राजेश शुक्ला समेत विश्व विद्यालय के प्राचार्य, विधार्थी मौजूद रहे।

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